Go To Mantra

वन॒स्पति॒रव॑सृष्टो॒ न पाशै॒स्त्मन्या॑ सम॒ञ्जञ्छ॑मि॒ता न दे॒वः। इन्द्र॑स्य ह॒व्यैर्ज॒ठरं॑ पृणा॒नः स्वदा॑ति य॒ज्ञं मधु॑ना घृ॒तेन॑ ॥४५ ॥

Mantra Audio
Pad Path

वन॒स्पतिः॑। अव॑सृष्ट॒ इत्य॒वऽसृ॑ष्टः। न। पाशैः॑। त्मन्या॑। स॒म॒ञ्जन्निति॑ सम्ऽअ॒ञ्जन्। श॒मि॒ता। न। दे॒वः। इन्द्र॑स्य। ह॒व्यैः। ज॒ठर॑म्। पृ॒णा॒नः। स्वदा॑ति। य॒ज्ञम्। मधु॑ना। घृ॒तेन॑ ॥४५ ॥

Yajurveda » Adhyay:20» Mantra:45